रवि शरण सिंह। समाज में बच्चों के साथ यौन अपराधों की ख़बरें मिलती रहती हैं, जो किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करती हैं। लिहाजा, इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून "पॉक्सो एक्ट" बनाया। इस कानून के तहत दोषी व्यक्ति को उम्रकैद तक की
सजा हो सकती है। क्योंकि यह कानून बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। खास बात यह कि वर्ष 2018 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिसके बाद 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है। इससे 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी पॉक्सो (पीओसीएसओ) एक्ट को काफी मजबूती मिली है और जनसामान्य में भय पैदा हुआ है कि यदि गलत आचरण करेंगे तो कड़ा दंड भी मिल सकता है। इस कानून के बनने के बाद ऐसी हिंसा में कहीं कमी आने के संकेत हैं तो कहीं-कहीं स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार महसूस नहीं किया जा रहा है। इससे प्रशासन का चिंतित होना स्वाभाविक है।
आइए आज जानते हैं क्या है पॉक्सो एक्ट